gairsain-session-2025: गैरसैंण में जुटेगी सत्ता की पंचायत, 19 अगस्त से बदलेगा सियासी मौसम!

gairsain-session-2025

gairsain-session-2025 देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र 19 अगस्त से 22 अगस्त तक गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में आयोजित किया जाएगा। सत्र की तिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर तय की गई है। कैबिनेट द्वारा पूर्व में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को gairsain-session-2025 सत्र की तिथि निर्धारण हेतु अधिकृत किया गया था। इसके बाद अब तय किया गया है कि चार दिवसीय सत्र गैरसैंण में आहूत होगा। राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले गैरसैंण को लेकर यह निर्णय एक बार फिर से राज्य के ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में उसकी भूमिका को रेखांकित करता है।

देहरादून में जलसैलाब! CM Pushkar Singh dhami ने खुद संभाली कमान

CM Pushkar Singh dhami

CM Pushkar Singh dhami देहरादून: उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने देहरादून के रायपुर क्षेत्र के अतिवृष्टि प्रभावित इलाकों का बुधवार को स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने किरसाली चौक, आईटी पार्क, ननूरखेड़ा, आमवाला, तपोवन और शांति विहार जैसे जलभराव वाले इलाकों में पहुंचकर स्थानीय लोगों से बातचीत की और उनकी समस्याएं जानीं। मुख्यमंत्री CM Pushkar Singh dhami ने कहा कि राज्य सरकार के लिए जनता की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हर संभव मदद तुरंत पहुंचाई जाए। निरीक्षण के दौरान उन्होंने ड्रेनेज व्यवस्था सुधारने और नालियों की नियमित सफाई करने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री CM Pushkar Singh dhami ने जलभराव और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड लगाने की बात कही, ताकि लोग सतर्क रहें और किसी भी हादसे से बचा जा सके। साथ ही, स्थानीय पुलिस, आपदा प्रबंधन टीम और सभी संबंधित विभागों को अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए गए हैं। CM Pushkar Singh dhami ने स्पष्ट किया कि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया और राहत पहुंचाना प्रशासन की जिम्मेदारी है। रिस्पॉन्स टाइम को कम करने और जान-माल की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाने पर ज़ोर दिया गया। निरीक्षण के दौरान राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विनय रुहेला, विधायक उमेश शर्मा काऊ और जिला प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद रहे। CM Pushkar Singh dhami उत्तराखंड

पहाड़ पर उदय होने लगा है रिवर्स पलायन का ‘सूर्या’…..

सूर्या

सूर्या की गांव वापसी की कहानी बनी प्रेरणा का स्रोत पहाड़ पर उदय होने लगा है रिवर्स पलायन का ‘सूर्या’, बदल रहे हैं जीवन के रंग सूर्या पेशे से पत्रकार,चला गांव की ओर… ग्राम पाली तल्ली से हैं सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल नोएडा में नौकरी छोड़ सूर्या लौटे गांव की ओर टीवी जर्नलिस्ट हैं सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल रिवर्स पलायन में पर्यटन विभाग की बड़ी भूमिका स्वरोजगार में पर्यटन विभाग ने की मदद सूर्या का अनुभव — ‘लाख कोशिशें हुईं लेकिन शहर मेरे भीतर के गांव को मार नहीं पाया लाख कोशिशें हुईं लेकिन शहर मेरे भीतर के गांव को मार नहीं पाया और जब फैसले की घड़ी आई तो सोचा- भले की कम कमाएंगे, लेकिन पहाड़ में रहेंगे. अपने गांव में. अपने माता-पिता के साथ, अपने लोगों के बीच, नए सपने-नए संघर्ष और ढेर सारे संतोष के साथ’ यही सोच साल 2021 में पूरी तरह से नोएडा के हो चुके सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल को वापस अपने गांव पाली तल्ली ले आई. “सूर्या का मानना – इच्छाशक्ति चाहिए, पैसा नहींसूर्या कहते हैं कि साल 2018 के बाद से ऐसे कई मौके आए जब गांव लौटकर कुछ करने की इच्छा हुई. हम मीडिल क्लास लोगों की आर्थिक स्थिति इसमें बड़ा रोड़ा अटकाती है. मैं जब रिवर्स पलायन कर चुके लोगों की कहानी पढ़ता था तो अच्छा लगता था. घर वापसी की इच्छा होती थी. 2020 में आई कोरोना महामारी ने इस इच्छा में शक्ति को जोड़ दिया. और यही इच्छाशक्ति साल 2021 में मुझे घर लौटने के फैसले के लिए तैयार कर बैठी. बुजुर्ग माता-पिता के देखभाल की जिम्मेदारी भी कंधो पर थी. जैसे ही कोरोना खत्म हुआ. लॉकडाउन खुला तो गांव लौटे. मां-पिताजी ने भी आशीर्वाद दिया. गांव की पैतृक जमीन पर रोजगार करने की योजना बनाई. और फिर तैयार हुआ लैंसडोन में पाली होमस्टे. ‘लैंसडाउन के गांव पाली तल्ली से हैं सूर्या’सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल उत्तराखंड के पौड़ी जिले से हैं. लैंसडोन तहसील के पाली तल्ली गांव के रहने वाले हैं. सूर्या कहते हैं कि, “गांव लौटने के बाद गांव में रोजगार तलाशा. उत्तराखंड पर्यटन विभाग की गृह आवास होमस्टे योजना ने मदद की. फिर योजना की आर्थिक मदद से होमस्टे बनाया. अब सारा ध्यान उसके सफल संचालन की तरफ है. लंबी बीमारी के बाद इसी साल जून में माता जी का निधन हो गया. अब मैं और मेरे पिताजी, हम दोनों मिलकर इस होमस्टे को चलाते हैं. अभी शुरुआत भर है. अभी काफी काम बाकी हैं. हमारा मकसद होमस्टे के जरिए अपनी गढ़वाली संस्कृति को बढ़ावा देना है. पिताजी के मार्गदर्शन में सबकुछ अच्छे से कर पा रहा हूं. वो मेरे गुरू भी हैं और पाली होमस्टे के कल्पनाकार भी, हम मिलकर कुछ अच्छा करने के लिए मेहनत कर रहे हैं. सफलता-असफलता महादेव की इच्छा पर है” एक परिचय ! सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल… ‘सरकारी योजना का फायदा उठाओ, घर लौट आओ’सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल कहते हैं कि हमारे उत्तराखंड से जो लोग अच्छे रोजगार और अच्छे भविष्य के लिए शहरों की तरफ पलायन कर चुके हैं. उनको उत्तराखंड की सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी लेनी चाहिए. सरकार कई ऐसी योजनाएं चला रही हैं जिसके जरिए दूर दराज के गांवों में स्वरोजगार स्थापित किया जा रहा है. और आगे भी बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं. घर-गांव में ही अगर रोजगार मिल जाता है तो बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है. बस सरकार की योजनाएं अच्छे अधिकारियों और कर्मचारियों के जरिए आम आदमी तक आसानी से पहुंच जाए. थोड़ा सिस्टम में भी सुधार की जरुरत है. ताकि लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके.

Big decision: Geothermal Energy Policy: ऊर्जा के नए युग की शुरुआत! उत्तराखंड में जियो थर्मल नीति को मिली मंजूरी

Geothermal Energy Policy

Geothermal Energy Policy: देहरादून: देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में उत्तराखंड कैबिनेट की अहम बैठक हुई, जिसमें कुल छह महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इन फैसलों का उद्देश्य राज्य के ऊर्जा क्षेत्र को मजबूत करना….बुनियादी ढांचे का विकास और प्रशासनिक सुधारों को लागू करना है। बैठक में सबसे महत्वपूर्ण निर्णय राज्य की जियो थर्मल ऊर्जा नीति Geothermal Energy Policy को लेकर लिया गया, जिसे कैबिनेट की हरी झंडी मिल गई। इस नीति से प्रदेश में वैकल्पिक और स्वच्छ ऊर्जा के विकास को बल मिलेगा…जिससे उत्तराखंड ऊर्जा आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा। सरकार ने पुल निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) के गठन को भी मंजूरी दी है। इससे निर्माणाधीन और प्रस्तावित पुलों की निगरानी प्रभावी रूप से की जाएगी। प्रशासनिक सुधारों के तहत सतर्कता विभाग में 20 नए पद सृजित किए गए हैं…जिससे विभागीय कर्मियों की संख्या बढ़कर 156 हो गई है। जीएसटी विभाग में भी पदों की संख्या बढ़ाई जाएगी…ताकि कर संग्रहण और निगरानी व्यवस्था को और मजबूत किया जा सके। खनन क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर खनन न्यास (Mining Trust) का गठन भी कैबिनेट ने मंजूर किया है, जिससे खनिज संसाधनों का बेहतर विकास संभव होगा। वृद्धावस्था पेंशन योजना में भी बदलाव किया गया है। अब यदि किसी लाभार्थी का पुत्र 18 वर्ष का हो जाता है…तब भी पेंशन बंद नहीं होगी जिससे हजारों वृद्धजनों को राहत मिलेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ये निर्णय उत्तराखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होंगे और प्रदेश को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राज्य बनाएंगे। Uttarakhand Cabinet Approves Geothermal Energy Policy and Administrative Reforms | Dehradun

वन अधिकारी को मिलेगा डॉक्टरेट सम्मान! जानिए किस काम ने बना दिया सबका हीरो

Honorary Doctorate for Environmental and Social Work

DLM Aan Singh Kandli will receive an Honorary Doctorate for Environmental and Social Work from the World Human Rights Protection Commission for his outstanding contributions. The award ceremony will be held on July 31, 2025, in Dehradun. About the Honorary Doctorate for Environmental and Social Work by WHRPC कर्णप्रयाग: सामाजिक और पर्यावरणीय सेवाओं के लिए डीएलएम आन सिंह कांदली को मिलेगा डॉक्टरेटवन निगम कर्णप्रयाग में तैनात प्रभागीय लौगिंक प्रबंधक डीएलएम आन सिंह कांदली को विश्व मानवाधिकार संरक्षण आयोग (World Human Rights Protection Commission) द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। Why Aan Singh Kandli Is Receiving an Honorary Doctorate for Environmental and Social Work यह उपाधि उन्हें पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान के लिए दी जा रही है। Award Ceremony of the Honorary Doctorate for Environmental and Social Work सम्मान समारोह कब और कहां?डॉ. आन सिंह कांदली को यह सम्मान 31 जुलाई 2025 को देहरादून में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाएगा। आयोग द्वारा यह डॉक्टरेट उपाधि हर वर्ष उन्हीं व्यक्तित्वों को दी जाती है, जिन्होंने मानव सेवा और प्रकृति संरक्षण में उल्लेखनीय कार्य किया हो। कौन हैं आन सिंह कांदली? “सिर्फ प्रशासनिक कार्य नहीं, समाज सेवा भी मेरी जिम्मेदारी है।” डीएलएम आन सिंह कांदली आन सिंह कांदली पिछले 15 वर्षों से अधिक समय से वन विभाग में सेवा दे रहे हैं। वे न केवल अपने प्रशासनिक कार्यों में दक्ष हैं, बल्कि उन्होंने समाज सेवा को भी अपने कर्तव्यों का हिस्सा बनाया है। सामाजिक योगदान:ज़रूरतमंदों को शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार में आर्थिक सहयोगपौधरोपण, अतिक्रमण रोकथाम, और कर्मचारियों के सहयोग से पर्यावरणीय अभियानों का संचालन टीम का उत्साह और बधाई डीएलएम कांदली के इस सम्मान को लेकर उनके साथियों में भी ख़ुशी की लहर है। इस मौके पर लौगिंक सहायक दीपक बिष्ट, स्केलर ओम प्रकाश रावत, पुरण चंद्र डिमरी, दीपक पंत, लक्ष्मण, और सूरज फर्रस्वाण आदि ने हर्ष जताया और बधाई दी। (FAQs) डीएलएम आन सिंह कांदली को डॉक्टरेट क्यों मिला?उन्हें यह उपाधि पर्यावरण, वन्यजीव संरक्षण और समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दी गई। यह सम्मान कब और कहां दिया जाएगा?उन्हें 31 जुलाई 2025 को देहरादून में आयोजित समारोह में सम्मानित किया जाएगा। क्या यह उपाधि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य है?हां, यह उपाधि विश्व मानवाधिकार संरक्षण आयोग द्वारा दी जाती है जो एक प्रतिष्ठित संस्था है।

अब बारिश से पहले बजेगा अलार्म! उत्तराखंड में मोबाइल पर आएगा व्हाट्सएप अलर्ट, जाने कैसे ?

उत्तराखंड व्हाट्सएप बारिश अलर्ट

उत्तराखंड व्हाट्सएप बारिश अलर्ट – उत्तराखंड में अब बारिश की चेतावनी सीधे मोबाइल पर देहरादून: उत्तराखंड में अब भारी बारिश की पूर्व‑चेतावनी सीधे लोगों के मोबाइल फोन पर लगभग 3 घंटे पहले भेजी जाएगी। यह सुविधा आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जिला, तहसील और गांव स्तर पर बनाए जा रहे विशिष्ट WhatsApp ग्रुप्स के माध्यम से संचालित की जाएगी। उत्तराखंड व्हाट्सएप बारिश अलर्ट – क्यों ज़रूरी है यह कदम?सीधी सूचना: आम जनता, जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को मौसम‑विभाग के “Heavy Rain Alert” की अपडेट मिलेगी। त्वरित बचाव: मौसम बदलने की जानकारी से लोग तैयार हो पाएंगे, संभवतः नुकसान कम होगा। उत्तराखंड व्हाट्सएप बारिश अलर्ट – योजना की रूपरेखा विभाग ने राज्य, जिला, तहसील और गांव आधारित WhatsApp ग्रुप्स बनाने के निर्देश जारी किए हैं। इन ग्रुप्स में जनप्रतिनिधियों, पुलिस, स्वास्थ्यकर्मियों, सम्मानीय व्यक्तियों को समाविष्ट किया जाएगा ताकि सूचना प्रसारण सटीक और व्यापक रहे। पहले Weather Department द्वारा जारी अलर्ट आम स्तर तक नहीं पहुंचते थे…लेकिन अब यह स्थिति बदलने जा रही है। उद्धरणआपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी का कहना है: “हमने अलर्ट को 3 घंटे पहले लोगों तक पहुँचाने के लिए WhatsApp मॉडल अपनाया है। इससे बचाव‑तैयारी बेहतर होगी। उत्तराखंड व्हाट्सएप बारिश अलर्ट— कैसे काम करेगा नेटवर्कआपदा प्रबंधन विभाग तैयार कर रहा है WhatsApp ग्रुप्स का नेटवर्क जिला‑से‑गांव स्तर पर, ताकि Heavy Rain Alert 3 घंटे पहले सीधे मोबाइल तक पहुँच सके। FAQQ1: इस सेवा से कौन‑कौन जुड़ पाएगा?A1: हर गांव‑तहसील‑जिला के निवासी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, पुलिस और स्वास्थ्यकर्मी सीधे ग्रुप में सम्मिलित होंगे। Q2: अलर्ट कितने समय पहले मिलेगा?A2: भारी बारिश की चेतावनी लगभग 3 घंटे पहले डायरेक्ट प्राप्त होगी। Q3: सेवा कब शुरू होगी?A3: विभाग ने तुरंत लागू करने के निर्देश दिए हैं; कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। Q4: क्या यह सभी के मोबाइल फोन पर आएगा?A4: हाँ, जिनलोगों ने संबंधित पंचायत/जनप्रतिनिधि से संपर्क करके अपने नंबर दिए होंगे, उन्हें यह अलर्ट मिलेगा। Q5: क्या यह अलर्ट फ्री होगा?A5: जी हाँ, यह सेवा पूरी तरह फ्री है; डेटा चार्ज केवल सामान्य WhatsApp यूज़ के अनुरूप ही लगेंगे। ख़बरें पढने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे – https://deshupdatenews.com/

उत्तराखंड के शिक्षक ने माचिस की तीलियों से गढ़ा श्री राम मंदिर

Shri Ram Mandir Made of Matchsticks

Shri Ram Mandir Made of Matchsticks पौड़ी (उत्तराखंड): Shri Ram Mandir made of matchsticks उत्तराखंड की शांत, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भूमि ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि यहां केवल प्रकृति ही नहीं, प्रतिभा भी अपने चरम पर है। पौड़ी गढ़वाल के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक पंकज सुन्दरियाल ने अपनी अनूठी कला से ऐसा चमत्कार कर दिखाया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। (Shri Ram Mandir Made of Matchsticks) पंकज ने माचिस की साधारण तीलियों से श्री राम मंदिर अयोध्या की एक अद्भुत और बेहद सुंदर प्रतिकृति (Model) तैयार की है, जिसे बनाने में उन्हें तीन साल का समय लगा। उनकी यह कलाकृति न सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि धैर्य, लगन और रचनात्मकता का अनमोल उदाहरण भी है। Shri Ram Mandir made of matchsticks (Shri Ram Mandir made of matchsticks) शिक्षक से कलाकार बनने की यात्रा 06 जुलाई 1981 को पौड़ी गढ़वाल के ग्राम मजगाँव (चौन्दकोट पट्टी) में जन्मे पंकज सुन्दरियाल के पिता स्व. पुरुषोत्तम सुन्दरियाल भी शिक्षक थे। पंकज ने प्रारंभिक शिक्षा चौबट्टाखाल में प्राप्त की और एम.एससी., बी.एड., बीटीएस जैसे उच्च शिक्षण कोर्स पूरे करने के बाद वर्ष 2009 में शिक्षा क्षेत्र से जुड़ गए। ड्यूटी के साथ-साथ उनके भीतर की क्रिएटिविटी कभी शांत नहीं रही। दुकानदारी के दिनों में उन्होंने पहली बार माचिस की तीलियों से मंदिर बनाने का विचार किया। सबसे पहले उन्होंने श्री केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाई, और यहीं से उनके सफर की शुरुआत हुई। (Shri Ram Mandir made of matchsticks)राम मंदिर ही नहीं, बना चुके हैं विश्व की मशहूर इमारतेंपंकज अब तक कई अंतरराष्ट्रीय और ऐतिहासिक इमारतों की प्रतिकृतियाँ बना चुके हैं, जिनमें शामिल हैं: ताजमहल (भारत) बोर्गंड चर्च (नॉर्वे) कार्नर टावर (चीन) श्री केदारनाथ मंदिर (उत्तराखंड) और अब श्री राम मंदिर (अयोध्या) – जिसे वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करना चाहते हैं, ताकि यह अयोध्या के राम मंदिर संग्रहालय में सुरक्षित रखा जा सके। दो बार India Book of Records में नाम दर्जपंकज सुन्दरियाल का नाम साल 2021 और 2022 में लगातार दो बार India Book of Records में दर्ज किया जा चुका है। वे उत्तराखंड से इस क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले व्यक्ति हैं। बच्चों को सिखा रहे हैं कलापंकज न सिर्फ खुद यह कला साध रहे हैं, बल्कि वे अपने छात्रों को भी हस्तशिल्प और प्रतिकृति निर्माण सिखा रहे हैं। वे भविष्य में एक स्थायी हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र और माचिस कलाकृति संग्रहालय स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। सर्वधर्मसमभाव का संदेशपंकज का मानना है कि उनकी कला केवल मंदिरों या धार्मिक इमारतों तक सीमित नहीं है। वे सभी धर्मों की संरचनाओं पर काम कर चुके हैं और आगे गुरुद्वारा भी बनाना चाहते हैं। वे कला के माध्यम से विश्व को “सर्वधर्म समभाव” का संदेश देना चाहते हैं। पंकज सुन्दरियाल की यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि साधारण चीजों से भी असाधारण रचनाएं गढ़ी जा सकती हैं…बस ज़रूरत होती है जुनून, समर्पण और धैर्य की। उत्तराखंड की इस प्रतिभा को नमन, जो अपनी रचनात्मकता से पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर रहे हैं। FOR MORE NEWS VISIT – https://deshupdatenews.com/ FAQ : Q1. मिस पंकज सुन्दरियाल कौन हैं?A1. उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल निवासी, अपने गांव में सहायक अध्यापक और माचिस तीलियों से हस्तशिल्प निर्माण में प्रतिभाशाली कलाकार। Q2. उन्होंने किन-किन स्मारकों की प्रतिकृति बनाई है?A2. श्री केदारनाथ मंदिर, ताजमहल, बोर्गंड चर्च, कार्नर टॉवर (चीन) और हाल ही में श्री राम मंदिर अयोध्या। Q3. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?A3. उन्होंने 2021 और 2022 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। Q4. भविष्य में क्या योजनाएँ हैं?A4. माचिस हस्तशिल्प संग्रहालय, प्रधानमंत्री को श्री राम मंदिर भेंट, लोककलाओं को बढ़ावा व समुदायों में सर्वधर्मसमभाव का संदेश Q5. कलाकार पंकज का शिक्षा क्षेत्र में योगदान क्या है?A5. वे विद्यालय में ही बच्चों को हस्तशिल्प सिखाकर उनकी रचनात्मक क्षमता को भी विकसित करने में सहायक हैं। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो, तो कृपया Share करें, अपने विचार दें, और ऐसे और प्रेरणादायक कहानियों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें!