Bi-articulated Electric Buses: देहरादून के ट्रांजिट सिस्टम में नया बदलाव
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में अब मेट्रो या रोपवे की जगह Bi-articulated Electric Buses चलाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (UKMRC) ने स्विस कंपनी HESS के साथ समझौता कर लिया है, जो इस तकनीक की विशेषज्ञ है।
क्या हैं Bi-articulated Electric Buses?
Bi-articulated Electric Buses दो जुड़े हुए डिब्बों वाली इलेक्ट्रिक बसें होती हैं, जो बैटरी से चलती हैं और तेजी से चार्ज हो जाती हैं (फ्लैश चार्जिंग टेक्नोलॉजी)। इनकी गति 30–40 किमी/घंटा होती है और ये पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं।
- पूरी तरह से इलेक्ट्रिक
- फ्लैश चार्जिंग तकनीक
- सुरक्षित और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में बेहतर
क्यों लिया गया ये फैसला?
UKMRC ने पहले मेट्रो लाइट (2019), रोपवे (2020) और नियो मेट्रो (2022) के लिए DPR तैयार की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने 2025 में नियो मेट्रो के प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया कि यातायात को ई-बसों और BRTS से बेहतर ढंग से संभाला जा सकता है।
इसके बाद स्विस कंपनी HESS ने UKMRC को Bi-articulated Electric Buses का प्रस्ताव दिया, जो कि कई यूरोपीय देशों और ऑस्ट्रेलिया में पहले से चल रही हैं।
प्रस्तावित रूट और कवरेज
फेज 1 – मुख्य कॉरिडोर
- कॉरिडोर 1: ISBT से गांधी पार्क (8.52 किमी, 10 स्टेशन)
- कॉरिडोर 2: FRI से रायपुर (13.90 किमी, 15 स्टेशन)
🔹 42 वार्ड कवर होंगे
🔹 40% आबादी सीधे लाभान्वित
🔹 विक्रम, मैजिक आदि को जोड़कर 75% तक सेवाएं
फेज 2 – विस्तार कॉरिडोर
- रेलवे स्टेशन से पंडितवाड़ी (4.65 किमी)
- क्लेमेंटटाउन से बल्लीवाला (7.77 किमी)
- रिस्पना से विंडलास रिवर वैली (6.5 किमी)
- हर्बर्टपुर, प्रेमनगर, IT पार्क जैसे क्षेत्र शामिल
लागत तुलना (प्रति किमी)
सिस्टम | लागत अनुमान (₹ करोड़/किमी) |
---|---|
मेट्रो लाइट | 91 – 110 |
रोपवे | 103 – 126 |
मेट्रो नियो | 40 – 50 |
Bi-articulated Electric Buses | ~50 – 60* |
सटीक लागत DPR रिपोर्ट के बाद तय होगी, लेकिन संचालन खर्च मेट्रो और नियो मेट्रो से कम होगा।
अंतरराष्ट्रीय अनुभव
- ब्रिसबेन (ऑस्ट्रेलिया), फ्रांस और स्विट्जरलैंड में सफलता
- लैटिन अमेरिका में भी परीक्षण सफल रहा
- भारत में पहली बार इतनी बड़ी स्केल पर प्रस्ताव
FAQ – Bi-articulated Electric Buses
Q1. Bi-articulated Electric Buses क्या होती हैं?
यह दो जुड़े हुए कोच वाली इलेक्ट्रिक बसें होती हैं, जो फ्लैश चार्जिंग से तेज़ी से चार्ज होती हैं और ज्यादा यात्रियों को ढोने की क्षमता रखती हैं।
Q2. क्या ये मेट्रो से सस्ती होंगी?
हां, अनुमानतः प्रति किलोमीटर लागत मेट्रो से कम और संचालन खर्च भी कम रहेगा। लेकिन यह रोपवे से थोड़ी महंगी हो सकती है।
Q3. इसका लाभ देहरादून को कैसे मिलेगा?
ये सिस्टम शहर के 75% तक आबादी को जोड़ सकता है, जिससे भीड़ कम होगी, प्रदूषण घटेगा और ट्रैफिक मैनेजमेंट बेहतर होगा।
Q4. कब से शुरू हो सकती है योजना?
शासन से मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव केंद्र को जाएगा। 2026 तक योजना का कार्यान्वयन शुरू हो सकता है।
🔚 निष्कर्ष
Bi-articulated Electric Buses देहरादून के लिए एक आधुनिक, किफायती और पर्यावरण-हितैषी विकल्प बनकर सामने आई हैं। यदि शासन और केंद्र से मंजूरी मिलती है, तो यह पहल राजधानी के ट्रांसपोर्ट सिस्टम में क्रांति ला सकती है।