पहाड़ पर उदय होने लगा है रिवर्स पलायन का ‘सूर्या’…..

सूर्या

सूर्या की गांव वापसी की कहानी बनी प्रेरणा का स्रोत पहाड़ पर उदय होने लगा है रिवर्स पलायन का ‘सूर्या’, बदल रहे हैं जीवन के रंग सूर्या पेशे से पत्रकार,चला गांव की ओर… ग्राम पाली तल्ली से हैं सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल नोएडा में नौकरी छोड़ सूर्या लौटे गांव की ओर टीवी जर्नलिस्ट हैं सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल रिवर्स पलायन में पर्यटन विभाग की बड़ी भूमिका स्वरोजगार में पर्यटन विभाग ने की मदद सूर्या का अनुभव — ‘लाख कोशिशें हुईं लेकिन शहर मेरे भीतर के गांव को मार नहीं पाया लाख कोशिशें हुईं लेकिन शहर मेरे भीतर के गांव को मार नहीं पाया और जब फैसले की घड़ी आई तो सोचा- भले की कम कमाएंगे, लेकिन पहाड़ में रहेंगे. अपने गांव में. अपने माता-पिता के साथ, अपने लोगों के बीच, नए सपने-नए संघर्ष और ढेर सारे संतोष के साथ’ यही सोच साल 2021 में पूरी तरह से नोएडा के हो चुके सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल को वापस अपने गांव पाली तल्ली ले आई. “सूर्या का मानना – इच्छाशक्ति चाहिए, पैसा नहींसूर्या कहते हैं कि साल 2018 के बाद से ऐसे कई मौके आए जब गांव लौटकर कुछ करने की इच्छा हुई. हम मीडिल क्लास लोगों की आर्थिक स्थिति इसमें बड़ा रोड़ा अटकाती है. मैं जब रिवर्स पलायन कर चुके लोगों की कहानी पढ़ता था तो अच्छा लगता था. घर वापसी की इच्छा होती थी. 2020 में आई कोरोना महामारी ने इस इच्छा में शक्ति को जोड़ दिया. और यही इच्छाशक्ति साल 2021 में मुझे घर लौटने के फैसले के लिए तैयार कर बैठी. बुजुर्ग माता-पिता के देखभाल की जिम्मेदारी भी कंधो पर थी. जैसे ही कोरोना खत्म हुआ. लॉकडाउन खुला तो गांव लौटे. मां-पिताजी ने भी आशीर्वाद दिया. गांव की पैतृक जमीन पर रोजगार करने की योजना बनाई. और फिर तैयार हुआ लैंसडोन में पाली होमस्टे. ‘लैंसडाउन के गांव पाली तल्ली से हैं सूर्या’सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल उत्तराखंड के पौड़ी जिले से हैं. लैंसडोन तहसील के पाली तल्ली गांव के रहने वाले हैं. सूर्या कहते हैं कि, “गांव लौटने के बाद गांव में रोजगार तलाशा. उत्तराखंड पर्यटन विभाग की गृह आवास होमस्टे योजना ने मदद की. फिर योजना की आर्थिक मदद से होमस्टे बनाया. अब सारा ध्यान उसके सफल संचालन की तरफ है. लंबी बीमारी के बाद इसी साल जून में माता जी का निधन हो गया. अब मैं और मेरे पिताजी, हम दोनों मिलकर इस होमस्टे को चलाते हैं. अभी शुरुआत भर है. अभी काफी काम बाकी हैं. हमारा मकसद होमस्टे के जरिए अपनी गढ़वाली संस्कृति को बढ़ावा देना है. पिताजी के मार्गदर्शन में सबकुछ अच्छे से कर पा रहा हूं. वो मेरे गुरू भी हैं और पाली होमस्टे के कल्पनाकार भी, हम मिलकर कुछ अच्छा करने के लिए मेहनत कर रहे हैं. सफलता-असफलता महादेव की इच्छा पर है” एक परिचय ! सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल… ‘सरकारी योजना का फायदा उठाओ, घर लौट आओ’सूर्या गजेंद्र बड़थ्वाल कहते हैं कि हमारे उत्तराखंड से जो लोग अच्छे रोजगार और अच्छे भविष्य के लिए शहरों की तरफ पलायन कर चुके हैं. उनको उत्तराखंड की सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी लेनी चाहिए. सरकार कई ऐसी योजनाएं चला रही हैं जिसके जरिए दूर दराज के गांवों में स्वरोजगार स्थापित किया जा रहा है. और आगे भी बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं. घर-गांव में ही अगर रोजगार मिल जाता है तो बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है. बस सरकार की योजनाएं अच्छे अधिकारियों और कर्मचारियों के जरिए आम आदमी तक आसानी से पहुंच जाए. थोड़ा सिस्टम में भी सुधार की जरुरत है. ताकि लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके.

उत्तराखंड के शिक्षक ने माचिस की तीलियों से गढ़ा श्री राम मंदिर

Shri Ram Mandir Made of Matchsticks

Shri Ram Mandir Made of Matchsticks पौड़ी (उत्तराखंड): Shri Ram Mandir made of matchsticks उत्तराखंड की शांत, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भूमि ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि यहां केवल प्रकृति ही नहीं, प्रतिभा भी अपने चरम पर है। पौड़ी गढ़वाल के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक पंकज सुन्दरियाल ने अपनी अनूठी कला से ऐसा चमत्कार कर दिखाया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। (Shri Ram Mandir Made of Matchsticks) पंकज ने माचिस की साधारण तीलियों से श्री राम मंदिर अयोध्या की एक अद्भुत और बेहद सुंदर प्रतिकृति (Model) तैयार की है, जिसे बनाने में उन्हें तीन साल का समय लगा। उनकी यह कलाकृति न सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि धैर्य, लगन और रचनात्मकता का अनमोल उदाहरण भी है। Shri Ram Mandir made of matchsticks (Shri Ram Mandir made of matchsticks) शिक्षक से कलाकार बनने की यात्रा 06 जुलाई 1981 को पौड़ी गढ़वाल के ग्राम मजगाँव (चौन्दकोट पट्टी) में जन्मे पंकज सुन्दरियाल के पिता स्व. पुरुषोत्तम सुन्दरियाल भी शिक्षक थे। पंकज ने प्रारंभिक शिक्षा चौबट्टाखाल में प्राप्त की और एम.एससी., बी.एड., बीटीएस जैसे उच्च शिक्षण कोर्स पूरे करने के बाद वर्ष 2009 में शिक्षा क्षेत्र से जुड़ गए। ड्यूटी के साथ-साथ उनके भीतर की क्रिएटिविटी कभी शांत नहीं रही। दुकानदारी के दिनों में उन्होंने पहली बार माचिस की तीलियों से मंदिर बनाने का विचार किया। सबसे पहले उन्होंने श्री केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाई, और यहीं से उनके सफर की शुरुआत हुई। (Shri Ram Mandir made of matchsticks)राम मंदिर ही नहीं, बना चुके हैं विश्व की मशहूर इमारतेंपंकज अब तक कई अंतरराष्ट्रीय और ऐतिहासिक इमारतों की प्रतिकृतियाँ बना चुके हैं, जिनमें शामिल हैं: ताजमहल (भारत) बोर्गंड चर्च (नॉर्वे) कार्नर टावर (चीन) श्री केदारनाथ मंदिर (उत्तराखंड) और अब श्री राम मंदिर (अयोध्या) – जिसे वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करना चाहते हैं, ताकि यह अयोध्या के राम मंदिर संग्रहालय में सुरक्षित रखा जा सके। दो बार India Book of Records में नाम दर्जपंकज सुन्दरियाल का नाम साल 2021 और 2022 में लगातार दो बार India Book of Records में दर्ज किया जा चुका है। वे उत्तराखंड से इस क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले व्यक्ति हैं। बच्चों को सिखा रहे हैं कलापंकज न सिर्फ खुद यह कला साध रहे हैं, बल्कि वे अपने छात्रों को भी हस्तशिल्प और प्रतिकृति निर्माण सिखा रहे हैं। वे भविष्य में एक स्थायी हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र और माचिस कलाकृति संग्रहालय स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। सर्वधर्मसमभाव का संदेशपंकज का मानना है कि उनकी कला केवल मंदिरों या धार्मिक इमारतों तक सीमित नहीं है। वे सभी धर्मों की संरचनाओं पर काम कर चुके हैं और आगे गुरुद्वारा भी बनाना चाहते हैं। वे कला के माध्यम से विश्व को “सर्वधर्म समभाव” का संदेश देना चाहते हैं। पंकज सुन्दरियाल की यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि साधारण चीजों से भी असाधारण रचनाएं गढ़ी जा सकती हैं…बस ज़रूरत होती है जुनून, समर्पण और धैर्य की। उत्तराखंड की इस प्रतिभा को नमन, जो अपनी रचनात्मकता से पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर रहे हैं। FOR MORE NEWS VISIT – https://deshupdatenews.com/ FAQ : Q1. मिस पंकज सुन्दरियाल कौन हैं?A1. उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल निवासी, अपने गांव में सहायक अध्यापक और माचिस तीलियों से हस्तशिल्प निर्माण में प्रतिभाशाली कलाकार। Q2. उन्होंने किन-किन स्मारकों की प्रतिकृति बनाई है?A2. श्री केदारनाथ मंदिर, ताजमहल, बोर्गंड चर्च, कार्नर टॉवर (चीन) और हाल ही में श्री राम मंदिर अयोध्या। Q3. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?A3. उन्होंने 2021 और 2022 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। Q4. भविष्य में क्या योजनाएँ हैं?A4. माचिस हस्तशिल्प संग्रहालय, प्रधानमंत्री को श्री राम मंदिर भेंट, लोककलाओं को बढ़ावा व समुदायों में सर्वधर्मसमभाव का संदेश Q5. कलाकार पंकज का शिक्षा क्षेत्र में योगदान क्या है?A5. वे विद्यालय में ही बच्चों को हस्तशिल्प सिखाकर उनकी रचनात्मक क्षमता को भी विकसित करने में सहायक हैं। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो, तो कृपया Share करें, अपने विचार दें, और ऐसे और प्रेरणादायक कहानियों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें!