किसान टपक सिंचाई और उच्च मूल्य फसलों से जुड़कर करें आजीविका सशक्त : जिला उद्यान अधिकारी


राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर पौड़ी में औद्यानिक नवाचारों की ओर बढ़ा कदम

एक दिवसीय कार्यशाला में किसानों ने सीखी टपक सिंचाई की तकनीक, विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव

पौड़ी/06 नवम्बर, 2025:
उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर उद्यान विभाग के तत्वावधान में “औद्यानिक फसलों में टपक सिंचाई” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पौड़ी ब्लॉक प्रमुख अस्मिता नेगी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।


टपक सिंचाई से जल संरक्षण और लागत में कमी : अस्मिता नेगी

मुख्य अतिथि अस्मिता नेगी ने कहा कि पर्वतीय जिलों में जल संसाधनों का समुचित उपयोग और संरक्षण भविष्य की स्थायी कृषि के लिए अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि टपक सिंचाई जैसी तकनीकें न केवल जल बचत करती हैं, बल्कि किसानों की मेहनत और लागत दोनों को कम करती हैं।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अधिक से अधिक किसानों तक इस तकनीक को पहुँचाने के लिए फील्ड डेमो और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
ब्लॉक प्रमुख ने कृषकों से पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर फल, सब्जी, पुष्प और औषधीय पौधों की खेती अपनाने का आह्वान किया ताकि उनकी आय में दोगुनी वृद्धि संभव हो सके।


“बागवानी केंद्रित एकीकृत दृष्टिकोण ही भविष्य की राह” : डॉ. तेजपाल सिंह बिष्ट

एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. तेजपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि पर्वतीय राज्यों में बदलते औद्यानिक परिदृश्य में टपक सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकें जल संरक्षण के साथ-साथ उत्पादकता में भी वृद्धि करती हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए बागवानी केंद्रित एकीकृत दृष्टिकोण (Integrated Approach) अपनाना चाहिए।
डॉ. बिष्ट ने बताया कि पारंपरिक खेती तक सीमित रहने वाले किसान अपनी आय को स्थिर रखेंगे, इसलिए उन्हें फल, सब्जी, पुष्प, मसाला और औषधीय पौधों की खेती जैसे विकल्पों को अपनाना चाहिए।


“ड्रिप इरिगेशन जल उपयोग दक्षता को 70% तक बढ़ाता है” : डॉ. अंशुमान सिंह

कृषि विज्ञान केंद्र भरसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अंशुमान सिंह ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन प्रणाली जल उपयोग दक्षता को लगभग 70 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है।
उन्होंने कहा कि इस प्रणाली से पौधों को आवश्यक मात्रा में जल और पोषक तत्व सीधे जड़ों तक पहुंचते हैं, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होता है।
डॉ. सिंह ने किसानों को इस तकनीक की तकनीकी जानकारी देते हुए इसके आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों पर भी विस्तार से चर्चा की।


विभाग चला रहा है अनुदान आधारित योजनाएं : जिला उद्यान अधिकारी

जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि विभाग द्वारा किसानों को टपक सिंचाई, प्लास्टिक मल्चिंग, पौधशालाओं की स्थापना और उच्च मूल्य फसलों के प्रचार हेतु विभिन्न अनुदान आधारित योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इन योजनाओं से जुड़कर अपनी आजीविका को सशक्त बनाएं और औद्यानिक क्रांति का हिस्सा बनें।


किसानों के प्रश्नों के समाधान के लिए आयोजित हुआ इंटरएक्टिव सेशन

कार्यशाला के अंत में किसानों की व्यावहारिक समस्याओं के समाधान हेतु इंटरएक्टिव सेशन आयोजित किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने किसानों के प्रश्नों के उत्तर दिए और व्यावहारिक सुझाव साझा किए।


इन अधिकारीयों और विशेषज्ञों की रही उपस्थिति

कार्यशाला में परियोजना निदेशक डीआरडीए विवेक कुमार उपाध्याय, जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, इंडियन ऑयल से सुरेश सचिदेव, उद्यान विभाग के अधिकारी, तकनीकी विशेषज्ञ एवं क्षेत्र के अनेक काश्तकार उपस्थित रहे।