हरेला पर्व पर हरियाली की जीत, जानिए कैसे रचा उत्तराखंड ने नया इतिहास

Harela Parv

🌿 H2: Harela Parv बना पर्यावरण संरक्षण का मजबूत आंदोलन

देहरादून: उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान और प्रकृति से जुड़ाव को दिखाने वाला हरेला पर्व अब केवल परंपरा तक सीमित नहीं रहा। इस साल Harela Parv पर पूरे राज्य में नया इतिहास रचा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू किए गए “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने और भी व्यापक बनाते हुए इसे एक सकारात्मक जन संदेश से जोड़ा:
‘हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ’

देहरादून से मुख्यमंत्री ने खुद पौधारोपण कर इस अभियान की शुरुआत की। खास बात यह रही कि इसे केवल सरकारी कार्यक्रम की तरह न देख कर, इसे जन-जन का हरित आंदोलन बना दिया गया। प्रदेश के सभी 13 जिलों के गाँवों, कस्बों और स्कूलों में हजारों जगह पौधारोपण हुआ। प्रशासन, वन विभाग, स्कूलों, स्वयंसेवी संस्थाओं, आंगनबाड़ी केंद्रों और महिला समूहों ने भी पूरे जोश के साथ भागीदारीकी।

Harela Parv: उत्तराखंड ने रचा हरियाली का नया इतिहास!

अब तक पूरे राज्य में 7 लाख से ज़्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं, जो किसी एक पर्व पर उत्तराखंड के इतिहास का सबसे बड़ा पौधारोपण अभियान है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हरेला पर्व दिखाता है कि उत्तराखंड सिर्फ हिमालयी राज्य नहीं, बल्कि जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए सक्रिय और जागरूक समाज का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि विकास और आस्था का संतुलन बनाए रखते हुए, पर्यावरण संरक्षण राज्य सरकार की प्राथमिक नीति का हिस्सा है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि हरेला पर्व अब केवल सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि प्रदेशवासियों की सामूहिक चेतना और हरित उत्तराखंड के संकल्प का उत्सव बन चुका है। जो पौधे धरती में रोपे जा रहे हैं, वही आने वाले वर्षों में हरियाली, उम्मीद और सतत विकास की नींव बनेंगे।


📌 FAQs about

Q1: Harela Parv क्या है?
Harela Parv उत्तराखंड का पारंपरिक पर्व है, जो हरियाली, प्रकृति प्रेम और पर्यावरण संरक्षण को समर्पित है। इस अवसर पर राज्यभर में पौधारोपण कर धरती माँ को धन्यवाद दिया जाता है।

Q2: इस साल Harela Parv पर क्या खास हुआ?
इस साल उत्तराखंड में Harela Parv पर रिकॉर्ड 7 लाख से अधिक पौधे लगाए गए। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “एक पेड़ माँ के नाम” प्रेरणा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल से जन आंदोलन का रूप मिला।

Q3: Harela Parv क्यों मनाया जाता है?
हरेला पर्व न सिर्फ सांस्कृतिक पहचान को बचाए रखने के लिए, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, हरियाली बढ़ाने और लोगों में जागरूकता लाने के लिए भी मनाया जाता है।

Q4: Harela Parv का मुख्य संदेश क्या है?
मुख्य संदेश है – ‘हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ’, यानी हर व्यक्ति एक पेड़ लगाकर प्रकृति का कर्ज चुकाए।

✅ उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट
✅ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आधिकारिक पेज
✅ वन विभाग उत्तराखंड

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