पौड़ी के बेडू को मिला जी.आई. टैग: अब बनेगा अंतरराष्ट्रीय पहचान का प्रतीक


स्थानीय किसानों और महिला समूहों के लिए खुलेंगे आर्थिक सशक्तिकरण के नए द्वार

पौड़ी गढ़वाल, 07 नवम्बर 2025।
जनपद पौड़ी गढ़वाल के लिए गर्व की बात है कि यहां के प्रसिद्ध बेडू (हिमालयी अंजीर) को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication – G.I.) टैग की मान्यता प्राप्त हुई है। यह उपलब्धि स्थानीय उत्पादों की विशिष्ट पहचान और किसानों की आजीविका सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


उमंग सहकारिता ने किया आवेदन, कई विभागों का मिला सहयोग

यह जी.आई. टैग राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत गठित उमंग स्वायत्त सहकारिता बिचली ढांढरी के प्रयासों से संभव हुआ। इस सहकारिता ने पेटेंट, डिज़ाइन एवं ट्रेडमार्क महानियंत्रक के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था।
इस प्रक्रिया में ग्रामोत्थान परियोजना (रीप), कृषि विभाग, उद्यान विभाग और औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार का तकनीकी सहयोग प्राप्त हुआ।
जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने आवेदन प्रक्रिया के लिए ₹2.50 लाख का वित्तीय सहयोग प्रदान किया, जबकि तकनीकी मार्गदर्शन ह्यूमन वैलफेयर एसोसिएशन, वाराणसी के डॉ. रजनीकांत द्वारा दिया गया।


क्या है बेडू: हिमालय का पारंपरिक फल

बेडू, जिसे हिमालयन फिग (Himalayan Fig) के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन और पोषक फल है जो पहाड़ी खेतों, बंजर भूमि और जंगलों में स्वाभाविक रूप से उगता है।
यह फल खनिजों और विटामिन्स से भरपूर होता है, इसका स्वाद मीठा, रसदार और हल्का कसीला होता है।
अब यह पारंपरिक फल अपनी पहचान के साथ देश और दुनिया के बाजारों में स्थान बनाएगा।


महिलाओं की भागीदारी: 388 सदस्य बना रहीं आत्मनिर्भरता की मिसाल

जिलाधिकारी के मार्गदर्शन में ग्रामोत्थान परियोजना (रीप) द्वारा उमंग स्वायत्त सहकारिता में बेडू प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई है।
यह फैडरेशन 31 गांवों के 62 स्वयं सहायता समूहों की 388 महिला सदस्यों से जुड़ा है।
यह महिलाएं किसानों से ₹60 प्रति किलो की दर से बेडू खरीदकर जैम, चटनी, स्क्वैश, मिठाई जैसे उत्पाद तैयार करती हैं, जिनका विपणन हिलांस ब्रांड के तहत पौड़ी, श्रीनगर, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, ऋषिकेश, देहरादून, उत्तरकाशी और चमोली सहित अन्य जिलों में किया जा रहा है।


जिलाधिकारी ने कहा – “यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर की मान्यता”

जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने कहा,

“बेडू का जी.आई. टैग मिलना सिर्फ एक उत्पाद की पहचान नहीं, बल्कि पौड़ी की सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर की मान्यता है। यह उपलब्धि हमारे स्थानीय किसानों और महिला समूहों की मेहनत की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनेगी।”

उन्होंने कहा कि प्रशासन का उद्देश्य है कि बेडू उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और वैश्विक बाजारों तक पहुँचाने के लिए हरसंभव सहयोग दिया जाएगा।


सीडीओ बोले – “पर्वतीय उत्पादों को मिलेगा वैश्विक बाजार”

मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने कहा कि बेडू का भौगोलिक संकेतक टैग मिलना जनपद के लिए गौरव की बात है।

“इससे न केवल स्थानीय उत्पाद को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी, बल्कि इससे जुड़े किसान और महिला समूह आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बनेंगे। यह पहल पर्वतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने में मील का पत्थर साबित होगी।”


विशेषज्ञों ने बताया — बेडू का औषधीय और पोषण मूल्य महत्वपूर्ण

जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी ने कहा कि बेडू पौड़ी की जैव विविधता का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके औषधीय एवं पोषण गुणों को देखते हुए इसे व्यावसायिक स्तर पर बढ़ावा देना आवश्यक है।

उमंग फैडरेशन की अध्यक्षा उमा देवी ने कहा,

“जी.आई. टैग मिलने से अब बेडू उत्पादों के मूल्य में वृद्धि होगी और इससे किसानों व महिला समूहों की आय में सीधा लाभ होगा। यह हमारी सामूहिक मेहनत का परिणाम है।”