परिवर्तिनी एकादशी 2025: भूल से भी न करें ये काम वरना व्रत हो जाएगा निष्फल!

Parivartini Ekadashi 2025

Parivartini Ekadashi 2025: जानिए तिथि, व्रत विधि, शुभ मुहूर्त और कथा

Parivartini Ekadashi 2025 का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाएगा। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होती है, जब वे योग निद्रा में रहते हुए करवट बदलते हैं। इसी कारण इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से पुण्य प्राप्त होता है, पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है।


Parivartini Ekadashi 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 सितंबर 2025 को सुबह 04:53 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 4 सितंबर 2025 को सुबह 04:21 बजे
  • व्रत रखने की तिथि: 3 सितंबर 2025
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 7:35 से 9:10 बजे तक
  • व्रत पारण मुहूर्त: 4 सितंबर को दोपहर 1:46 से 4:07 बजे तक

Parivartini Ekadashi 2025 व्रत पूजा विधि

  1. सुबह स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें।
  2. साफ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. पीले वस्त्र, पीले फूल, चंदन, तुलसी दल और मिठाई से भगवान विष्णु का पूजन करें।
  4. पंचामृत से भोग लगाएं जिसमें तुलसी पत्ता अवश्य हो।
  5. घी का दीपक और धूप जलाकर विष्णु चालीसा व एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
  6. अंत में आरती करके परिवार संग सुख-समृद्धि की कामना करें।
  7. व्रत के अगले दिन पारण के बाद जरूरतमंदों को अन्न, छाता, जूते, दही और जल से भरा कलश दान करें।

Parivartini Ekadashi की पौराणिक कथा (संक्षेप में)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा में होते हैं, तब परिवर्तिनी एकादशी के दिन वे करवट बदलते हैं। यह संकेत है कि अब धीरे-धीरे देवउठनी एकादशी की ओर बढ़ा जा रहा है। इस दिन व्रत, दान और पूजा का विशेष महत्व है।

मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति को विवाह संबंधी बाधाओं, आर्थिक संकटों और पापों से मुक्ति मिलती है।


भगवान विष्णु की आरती

ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे॥ ॐ जय…॥

जो ध्यावे फल पावे, दुख विनसे मन का।
सुख संपत्ति घर आवे, सुख संपत्ति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, तुम बिनु और न दूजा
आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालक मेरे।
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवा करूं तेरी॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय
दया करो मुझ पर॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, अपने हाथ उठाओ
द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ
संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन सब अर्पण, तेरा तुझको अर्पण।
क्या लागे मेरा, क्या लागे मेरा
मुझे सहारा दो॥ ॐ जय…॥

आरती पूरी जो कोई नर गावै।
कहत ‘शिवानंद’ स्वामी,
मनवांछित फल पावै॥ ॐ जय…॥


FAQs: Parivartini Ekadashi 2025

Q1. Parivartini Ekadashi 2025 में कब है?

Ans: यह व्रत 3 सितंबर 2025 को रखा जाएगा।

Q2. परिवर्तिनी एकादशी का क्या महत्व है?

Ans: इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। यह दिन पुण्य, मोक्ष और समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष माना गया है।

Q3. व्रत में किन वस्तुओं का दान करना शुभ होता है?

Ans: छाता, जूते, दही, जल से भरा कलश और अन्न का दान कल्याणकारी माना गया है।

Q4. पारण कब करना चाहिए?

Ans: व्रत पारण 4 सितंबर को दोपहर 1:46 से 4:07 बजे के बीच करना शुभ रहेगा।

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